WAQT - 9TH JUNE, 2012
वक़्त – 9th June, 2012
वक़्त से लड़ता मैं आया हूँ
कभी आंसू ग़म के
तो कभी खुशी के पाया हूँ
चाहे दोस्त के घर से खा कर आया हूँ
या खाली पेट रात को सोया हूँ
अपने हौसले को हमेशा ऊंची चोटी पर ही पाया हूँ
आता है मुझे
तूफ़ानो से टकराना
बादलों के साथ दौड़ लगाना
बारीश की बूंदों को मुट्ठी में क़ैद करना
अँधेरे में चिराग़ जलाना
क्या कहूँ
आँधियों में पतंग उड़ाता मैं आया हूँ
हालात चाहे जैसे भी हो
हर पल मुस्कुराता मैं आया हूँ
Post a Comment